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गेमिंग कंपनियों ने भारतीय सुप्रीम कोर्ट में कौशल-आधारित खेलों के लिए GST का विरोध किया

लेखक Anchal Verma
अनुवादक Moulshree Kulkarni

गेमिंग कंपनियों ने 8 मई को के समक्ष मौद्रिक दांव से जुड़े ऑनलाइन गेम पर 28 प्रतिशत माल और सेवा टैक्स (GST) की प्रयोज्यता से संबंधित एक मामले में अपनी कानूनी दलीलें पेश कीं। कार्यवाही पूर्वव्यापी कर मांग के लिए चल रही चुनौती का हिस्सा है और इसका अनुमान है कि इसका वित्तीय प्रभाव ₹2.5 लाख करोड़ ($30.1 बिलियन) है, जिसमें ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफ़ॉर्म, फ़ैंटेसी स्पोर्ट्स ऑपरेटर, कैसीनो और रेसकोर्स शामिल हैं।

कौशल बनाम जुआ

न्यायमूर्ति J.B. Pardiwala और R. Mahadevan की दो न्यायाधीशों वाली पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है। गेमिंग कंपनी Gameskraft की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता Gopal Sankaranarayanan और Dr. Abhishek Manu Singhvi पेश हुए। उन्होंने कहा कि भारतीय अदालतों ने ऐतिहासिक रूप से कौशल के खेल को जुए से अलग रखा है।

डॉ. Singhvi ने 1968 के Satyanarayana फैसले सहित सुप्रीम कोर्ट के पिछले फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि उस मामले में संदर्भ बाहरी सट्टेबाजी से संबंधित थे, न कि रम्मी के खेल से। उन्होंने कहा कि Storyboard18 की एक रिपोर्ट के अनुसार, शतरंज, रम्मी और ब्रिज जैसे खेलों को विभिन्न निर्णयों में कौशल-आधारित के रूप में मान्यता दी गई है।

दांव की मौजूदगी पर तर्क

डॉ. Singhvi ने कहा कि कौशल आधारित खेल में दांव शामिल करने से कानून के तहत उसका वर्गीकरण नहीं बदलता। उद्योग हितों का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता Harish Salve ने दांव के लिए खेले जाने वाले कौशल आधारित खेलों की तुलना मामूली दांव वाली मैत्रीपूर्ण प्रतियोगिताओं से करते हुए एक काल्पनिक उदाहरण पेश किया। न्यायमूर्ति Pardiwala ने सुनवाई के दौरान एक संक्षिप्त टिप्पणी के साथ जवाब दिया, जिसमें संकेत दिया गया कि आकस्मिक दांव को GST के तहत कर योग्य नहीं माना जा सकता है।

उद्योग निकाय की प्रस्तुतियाँ

ऑल इंडिया गेमिंग फेडरेशन (AIGF) की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता Dhruv Mehta ने पीठ के समक्ष अपनी प्रस्तुतियाँ शुरू कीं। मेहता ने कहा कि गेमिंग क्षेत्र में कई तरह के खेल और प्लेटफ़ॉर्म शामिल हैं। उन्होंने प्रस्तुत किया कि यह निर्धारित करना कि प्रत्येक खेल कौशल का खेल है या संयोग का, प्रत्येक मामले के आधार पर अलग-अलग दृष्टिकोण की आवश्यकता होगी और इसे निर्णायक अधिकारियों द्वारा संभाला जाना चाहिए।

Mehta ने अदालत को यह भी बताया कि AIGF की सदस्य फर्म सर्विस अकाउंटिंग कोड (SAC) 998439 के तहत GST का भुगतान कर रही हैं, जिसमें ऑनलाइन कार्ड गेम भी शामिल हैं। उन्होंने GST कानून में 2023 के संशोधनों का हवाला दिया, जिसमें “ऑनलाइन मनी गेमिंग” शब्द को “निर्दिष्ट कार्रवाई योग्य दावों” की श्रेणी में पेश किया गया।

पृष्ठभूमि और अगले कदम

सुप्रीम कोर्ट ने 5 मई को मामले की सुनवाई शुरू की। यह मामला GST व्यवस्था के तहत वास्तविक धन दांव से जुड़े ऑनलाइन गेम के वर्गीकरण से संबंधित है और क्या ऐसे गेम जुए की कानूनी परिभाषा के अंतर्गत आते हैं। यह मामला 9 मई को जारी रहने वाला है, जिसमें Mehta और अन्य वकीलों से आगे की दलीलें अपेक्षित हैं।

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